12 मई 2020 को प्रधानमंत्री जी देश को संबोधित करते हुए आत्म निर्भर भारत की घोषणा की, जिसमें 20 लाख करोड़ का पैकेज भी शामिल है । घोषणा के बाद से देश का हर व्यक्ति अपने अपने हिसाब से आत्म निर्भर भारत की परिभाषा देना शुरू कर दिया।
सरकारी तंत्र सकारात्मक पहलुओं की तरफ ध्यान आकर्षित कर रहा है तो विपक्ष उसकी कमियों पर या इस पैकेज की सीमाओं तथा भ्रामक बिन्दुओं पर चर्चा जारी किए हुए है। इस तरह यह शहर से लेकर गांव तक हर गली, मोहल्ले में चर्चा का केंद्र बन गया और देश के नागरिक दो धड़ों में बट गए कुछ आत्मनिर्भर भारत बनाने की होड़ में शामिल हो गए तो कुछ आत्म निर्भर भारत की खामियां ही गिनाने में लग गए है । किन्तु हमे राजनीति से परे जाकर आत्म निर्भर भारत को एक व्यापक अर्थों में समझना होगा अगर हम इसे संकीर्ण अर्थों में देखेंगे तो इसका बहुत साधारण सा मतलब है , आत्म का अर्थ स्वयं और निर्भर का अर्थ हुआ आश्रित तो स्वयं पर आश्रित ऐसा देश जो विश्व के अन्य देशों पर आश्रित ना होकर स्वयं पर आश्रित हो दूसरे अर्थों में जिसका विश्व के किसी भी देशों से ना तो आयात हो ना ही निर्यात हो, उसके सारे उत्पादन और उपभोग अपने देश पर ही निर्भर हो ऐसे में यह बंद अर्थव्यवस्था को इंगित कर रहा है,लेकिन प्रधानमंत्री का यह तात्पर्य बिल्कुल भी नहीं है,उनके आत्म निर्भर भारत का अर्थ यह है कि जहां भारतीय अर्थव्यवस्था इस कदर मजबूत हो कि वह विश्व की अर्थव्यवस्था में व्यापक योगदान दे भारतीय अर्थव्यवस्था का अधिकाधिक प्रभाव विश्व की अर्थ व्यवस्था पर पड़े कोविड-19 के कारण जो विश्व में आज सप्लाई चैन टूटी है , उसे भारत के द्वारा अनवरत चला कर वैश्विक सप्लाई चैन को आगे बढ़ाना जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था का विश्व पर प्रभाव बना रहे , इसलिए प्रधानमंत्री जी वोकल फॉर लोकल की बात करते है जिसका अर्थ ही है भारतीय उत्पादों का इस गुणवत्ता और इस दर से उत्पादन हो कि भारतीय मांग की तो पूर्ति हो ही साथ ही वैश्विक आपूर्ति में भी सहयोग रहे ।
उनका विचार है कि हम कोविड-19 के आपदा को अवसर बना सके क्योंकि आज विश्व की कंपनियां चीन में निवेश नहीं करना चाहती क्योंकि दुनिया की मैनुफैक्चरिंग हब वुहान से कोरोनावायरस का जन्म होता है और पूरी दुनिया को चपेट में ले लेता है जिससे विश्व मे चीन के प्रति एक आक्रोश है जो भारत के लिए अवसर के रूप में है।
प्रधानमंत्री ऐसे विकास की परिकल्पना कर रहे जो समावेशी हो जिसका अर्थ है हर व्यक्ति का विकास जो पूरे विश्व के स्तर पर दिखे, इसी क्रम में उन्होंने कहा कि अर्थ केंद्रित वैश्वीकरण से मानव केंद्रित वैश्वीकरण की ओर बढ़ता हुआ भारत बनाना है।
इसे बनाने में प्रधानमंत्री जी ने कुछ अन्य उद्देश्य और 4L भी निर्धारित किए है:-
१- कृषि क्षेत्र की स्थति में सुधार करना
२- कर व्यवस्था को तार्किक बनाना
३- कोविड 19 के चलते जो आपूर्ति श्रृंखला ब्रेक हुई है उसे सुधारना
४- उत्तम आधारभूत संरचना का निर्माण करना
५- सक्षम मानव संसाधन अर्थात कौशल युक्त श्रम
६- मजबूत वित्तीय व्यवस्था
७- निवेश में वृद्धि
प्रधानमंत्री जी ने 4L पर बल दिए है जो कि उत्पादन के मुख्य साधन भी है:-
1- LAND
2- LABOUR
3- LIQUIDITY
4- LAW
इन सबको पूर्ण रूप से लागू करने में या ये कहें कि आत्मनिर्भर भारत बनाने में 5 स्तंभों की महत्वपूर्ण आवश्यकता है आइये इस स्तम्भ को हम थोड़ा बहुत समझने की कोशिश करते है कि कैसे ये हमारे लक्ष्य को भेदने में सहायता प्रदान करेंगे :-
1- इकोनॉमी :-
इसकी ग्रोथ इंक्रिमेंटल ना होकर क्वांटम जंप करें, जिसमें उपभोक्ता के आय को बढ़ाकर , क्रय शक्ति उपलब्ध करा कर इकोनॉमी के ग्रोथ को बूस्ट करने की सरकार कोशिश कर रही है।
2- इन्फ्रास्ट्रक्चर:-
इसे हम व्यापार की सहायक गतिविधियां मानते है इसलिए आत्मनिर्भर भारत में सबसे ज्यादा फोकस भी इसी पर किया गया है। धन का आवंटन भी इंफ्रा को केंद्र में ही रख के किया गया है ।
3-डेमोग्राफी:-
ऐसी वयवस्था जहां युवा की भागीदारी अधिक हो, तो भारत डेमोग्राफी डिविडेंड की स्थिति में है इसलिए सरकार स्किल डेवलपमेंट पर फोकस कर रही है जिससे आसानी से आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्यों को पूरा कर सकेगें।
4- सिस्टम (व्यवस्था) :-
तकनीक आधारित व्यवस्था पर जोर दिया जायेगा।
5 -डिमांड:- नागरिकों की आय बढ़ाकर मांग को बढ़ाना है।
इन्हीं ५ पिल्लरों पर ही आत्मनिर्भर भारत को टिकना है इसलिए ज्यादातर धन का आवंटन भी इन्हीं ५ पिल्लरों को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया है।
केंद्र और राज्य सरकारें इन्हे सफलता पूर्वक लागू कर ले जाती है तो निश्चित रूप से प्रधानमंत्री के "आत्मनिर्भर भारत" का सपना पूर्ण होगा और हम विश्व बाज़ार में चीन के एकाधिकार को कम कर सकेंगे।
लेखक : योगेश पांडेय
yogeshp8081@gmail.com
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