यह अभी की खबर है कि विकास दुबे के दो और साथी , जिनमें एक तो प्रभात मिश्रा को पुलिस ने मार गिराया है प्रभात मिश्रा को पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर फरीदाबाद से कानपुर ला रही थी और कानपुर के पास पनकी हाईवे पर पहले पुलिस की जीप पंचर हो गई और फिर जीप रुकने पर सबइंस्पेक्टर की पिस्टल छीन कर पुलिस पर प्रभात ने की फायरिंग। जवाबी फायरिंग में प्रभात मिश्रा को ढेर कर दिया।
तो दूसरे इटावा में विकास दुबे के करीबी रणबीर शुक्ला को मार गिराया गया है। पुलिस के मुताबिक, रणबीर शुक्ला ने देर रात महेवा के पास हाईवे पर स्विफ्ट डिजायर कार को लूटा था। पुलिस को लूट की जैसे ही खबर मिली, पुलिस ने चारों को सिविल लाइन थाने के काचुरा पर घेर लिया। पुलिस और रणबीर शुक्ला के बीच फायरिंग शुरू हो गई. इस फायरिंग के दौरान रणबीर शुक्ला को ढेर कर दिया गया।
देश के लगभग हर इनकाउन्टर में ऐसा ही होता है , यही कहानी होती है। हर अपराधी इनकाउंटर में मरने के लिए यही करता है और पुलिस उसे मार देती है। ना अपराधी को कोई दूसरा तरीका सूझता है ना पुलिस को दूसरी कहानी।
कानपुर में 8 पुलिस वालों की हत्या करने के बाद पुलिस का विकास दूबे गिरोह के पाँच साथी का इनकाउंटर हो गया है। एक दयाशंकर अग्निहोत्री भाग्यशाली था कि वह इनकाउंटर में सिर्फ घायल हुआ और बच गया।
कल विकास दूबे के दाहिने हाथ कहे जाने वाले अमर दुबे का स्पेशल टास्क फोर्स ने हमीरपुर में एनकाउंटर कर दिया था।
अपने 8 साथियों की हत्या के बाद पुलिस किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं है , धड़ाधड़ इनकाउंटर हो रहे हैं तो उनके घर गिराए और वाहन तोड़े जा रहे हैं।
मुझे इस कृत्य पर हैरानी नहीं हो रही है।
हैरानी यह है कि इस पूरी घटना में सिर्फ़ ब्राम्हण ही ब्राम्हण सामने आ रहे हैं। थाना "चौबेपुर" पूरी तरह "विकास दूबे" के सामने नतमस्तक था। एसएसपी अनंत देव तिवारी ने जिस थानाध्यक्ष के खिलाफ कार्यवाही नहीं की वह विनय तिवारी , विकास दूबे का मुखबिर , मारे गये सीओ देवेन्द्र मिश्रा , इनकाउंटर में अभी तक मारे गये विकास दूबे के सारे साथी ब्राम्हण।
कोई शुक्ला , कोई मिश्रा , कोई आग्निहोत्री तो कोई दूबे।
बहुत जातिवादी है यह "विकास दूबे" , अपने से जुड़ा हर व्यक्ति ब्राम्हण ही चुना।
सोचिए कि यदि यहाँ हर व्यक्ति मुसलमान होता तो आज देश में क्या हो रहा होता।
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