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Wednesday, 22 July 2020

नवनीत चतुर्वेदी की इस किताब में भारत में गत तीन दशको में घटित 27 ऐसी घटनाओं का उल्लेख जो देश की दशा को तय करती है।

कल नवनीत चतुर्वेदी मिलने आये-- बीते कुछ महीनों से फेसबुक पर जिओ पोलिटिक्स पर श्रंखला लिख रहे थे -- उनका यह लेखन एक किताब के रूप में आ गया . इसे हमारे क्रांतिकारी विचारों को जीने वाले साथी आलोक शर्मा ने अपने "लोकमित्र प्रकाशन" से  छापा है . 
यह किताब बिलकुल उस तरह बांधे रखती है जैसे हमारे किशोरावस्था के दिनों में वेद प्रकाश शर्मा जैसे लेखकों के जासूसी उपन्यास को पढ़ना होता था -- एक बार शुरू किया तो जब तक खत्म नहीं हुआ- बैचेनी बनी रहती थी  .

 यह बात सही है कि आम हिंदी के पाठक के लिए जिओ पोलिटिक्स शब्द कुछ अनसुलझा सा है -- समझ लें भू- राजनीती -- इस शब्द का सबसे पहले इस्तेमाल 1899 में रुडोल्फ जेलें ने किया था . फिर चाहे क्यूबा मिसाईल मामला हो या फिर अफगानिस्तान केन दस साल चला गृह युद्ध  या फिर रूस का विभाजन -- सब कुछ जिओ पोलिटिक्स  का ही हिस्सा रहे हैं , यह व्यक्ति - विचारधारा, और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर चलता ऐसा खेल है जिसमें कार्पोरेट होते हैं, ताकत और व्यापार होता है , सत्ता परिवर्तन होते हैं -- नहीं होती तो बस कोई वैचारिक प्रतिबध्धता . 
नवनीत चतुर्वेदी की इस किताब में भारत में गत तीन दशको में घटित कु 27 ऐसी घटनाओं का उल्लेख किया -- जो चर्चा में रहीं उनसे शासन बदल गए -- कई चमकते सितारे गर्त में चले गये -- लेकिन उनके पीछे का असली अंतर्राष्ट्रीय खेल  अनसुलझा रहा - 
इस किताब में बताया गया है कि किस तरह राजीव गांधी की हत्या की जांच के दौरान मंत्रालयों से महत्वपूर्ण फाईलें चोरी हुयीं, तरुण तेजपाल ने संघ परिवार को नंगा किया लेकिन वह इजराईल के फंदे में कैसे फंसे और उनके शब्दों की अहमियत बलात्कार में फंस गयी, राजशेखर रेड्डी की मृत्यु,तेल की खोज , भा ज पा की अंदरूनी राजनीति , राहुल गांधी को पप्पू साबित करने के लिए किये जा रहे खर्चे और षड्यंत्र , विवेकानंद फौन्डेशन और केजरीवाल को पैदा किया जाना , ईवीएम का खेल, प्रशांत किशोर का बिजुका कौन खड़ा करता हैं ,भारत में चुनाव को गूगल और फेसबुक कैसे प्रभावित करता है -- जैसे विषयों पर लेख हैं . 
हर लेख तीन से चार पेज का और उसमें भी कई लिंक , संदर्भ -- यदि और पढ़ना हो तो उन लिंक को खोलो और रहस्य साजिश की दुनिया के नए आयाम में खो जाओ . 
किताब की भाषा बेहद सरल है -- जटिल विषयों को आम लोगों की समझ के लायक समझाने वाली . बेहद कम समय में अलोक शर्मा ने सुंदर उत्पादन किया . 
इसी किताब में इसके दुसरे भाग की भी घोषणा की गयी हैं 
कुल पृष्ठ 190, कीमत रु 350.

यदि आप अन्वेषी हैं तो इस कीमत में बहुत कुछ नया जानने और खोजने का लुत्फ़ उठा सकते हैं , मैं चाहूँगा कि मेरे मित्र इसे अवश्य पढ़ें 
हिंदी में वैसे भी इस तरह की किताबे कम ही हैं . 
किताब  अमेज़न पर भी उपलब्ध है आप चाहें तो लेखक से बात भी कर सकते हैं 8003119820
https://www.amazon.in/geopolitics-Navneet-Chaturvedi/dp/B08D8GXKSD 

पंकज चतुर्वेदी

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