हिंदी के अखबार अमरउजाला के अनुसार-----
1.उन्हें इन्वेस्टिगेशन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया है कि विकास दुबे को एक मंत्री के द्वारा शरण दी गई।
2.विकास दुबे ने जैसे ही 8 पुलिसकर्मियों की हत्या की इसके कुछेक घण्टे के भीतर ही उसके सभी करीबियों को मामले की खबर हो गई, जिसमें एक मंत्री और कानपुर शहर का मशहूर शराब व्यवसायी भी था।
3. मंत्री ने विकास को आश्वासन दिया कि वह उसे बचा लेगा. विकास दुबे से बातचीत में राजनीतिक संरक्षण की पुष्टि हुई है।
4. मंत्री ने विकास को सलाह दी कि वह या तो कोर्ट में सरेंडर कर दे या सार्वजनिक गिरफ्तारी हो जाए.
5. विकास दुबे कोर्ट में सरेंडर होने वाले ऑप्शन से डरता था, उसे डर था कि कहीं उसका एनकाउंटर न हो जाए.
6. इसपर मंत्री, शराब कारोबारी और उनके वकील ने विकास को सलाह दी कि किसी दूसरे स्टेट में जाकर मीडिया के सामने गिरफ्तारी दे, जो वायरल हो जाए, इसीलिए इस काम के लिए मध्यप्रदेश राज्य को चुना गया।
7.अखबार के अनुसार मंत्री जी का दबदबा मध्यप्रदेश में भी जबरदस्त है।
8. गिरफ्तारी से ठीक पहले, महाकाल थाने के थानेदार और सर्किल ऑफिसर को हटाया गया.
9. तय योजना के तहत विकास दुबे ने सीसीटीवी से लैस महाकाल मंदिर में अपनी गिरफ्तारी दी, और अपना नाम लेते हुए चिल्लाया.
10. पुलिस सूत्रों के अनुसार गिरफ्तारी के बाद हुई पूछताछ में विकास दुबे ने शहर के कई कारोबारियों और नेताओं के नाम गिनाए, जिसमें से मंत्री जी प्रमुख थे।
ये मंत्री जी कौन थे? ये रहस्य फिलहाल विकास दुबे की लाश के साथ ही दफन हो गया है। बात सिर्फ विकास दुबे की नहीं है, उन 8 पुलिसकर्मियों के परिवारों की है, न्याय की है। यदि मंत्री जी का नाम खुलेगा तो गाज सिर्फ मंत्री पर नहीं गिरेगी, इस मामले से उत्तरप्रदेश राज्य की भाजपा सरकार भी बैकफुट पर आ सकती है।
एनकाउंटर के साथ न्याय मिला नहीं है, न्याय पराजित किया गया है, खत्म किया गया है। उत्तरप्रदेश सरकार को इस रिपोर्ट का जबाव देना चाहिए।
रिपोर्ट : श्याम मीरा सिंह
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