मीडिया के जमाने में हमको किसी कहानी पर यकीन नहीं होता , मीडिया अगर कहें कि उस गली में भैंस है तो हम मानकर चलते हैं कि चूहा या नेवला होगा मगर भैंस तो हरगिज नहीं होगी , बड़ी बात नहीं है कि वहां कोई भी न हो और मीडिया ने मात्र टीआरपी के लिए भैंस की बात उड़ाई हो
आज के समय में उत्तरप्रदेश की एक आइएएस है जिनका नाम किंजल सिंह है , उनके पति भी आइएएस है और छोटी बहन भी आइपीएस है
किंजल सिंह के पिता पुलिस उपाधीक्षक थे और किंजल सिंह जब बहुत छोटी थी तभी उनके पिता जी की हत्या हो गई
पता है हत्या कैसे हुई थी !
वो भी एक अपराधी को पकड़ने गए थे जहां गोली लगने से उनकी मृत्यु हो गई
उनके हत्या में पहले तो वहीं बदमाश का नाम आया जिसको पकड़ने के लिए पुलिस की टीम गई थी मगर बाद में किंजल सिंह के मां ने उच्चस्तरीय जांच कराई तो पता चला कि बदमाश ससुरा तो दो दिन पहले ही भाग गया था गांव छोड़कर तब जाकर जब एक कड़ी दूसरे से जुड़ी तो निष्कर्ष निकला कि सीओ साहब की हत्या उनके ही मातहत दरोगा थानेदार और सिपाहियों ने कि थी
अभी हाल में उस कांड के जिंदा बचे छः पुलिसकर्मियों को नीचली अदालत ने मृत्यु की सजा सुनाई है
तो जरूरी नहीं कि जो कहानी मीडिया बता रही हैं वो सत्य ही हो
देश दीपक मिश्रा
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