उसकी पत्नी यदि कहीं दोषी है तो उस पर भी कार्यवाही हो।
पर विकास दुबे के बच्चे का क्या कसूर ?
हद है , इतनी असंवेदनशीलता भी उचित नहीं।
गज़ब कलंदर है उत्तर प्रदेश पुलिस।
साठ केस थे विकास दुबे पर,साठ। अभी कल परसों का उठाईगीर बदमाश नहीं था वो,पुलिस स्टेशन के अंदर घुस कर विधायक को मार कर आया था। तब उत्तर प्रदेश पुलिस गाँधी जी के बंदर माफिक आँख बंद कर के बैठ गयी थी,तीन महीने के अंदर ये शातिर ज़मानत में बाहर निकल आया।तब भी यह महज 25 हज़ारी बदमाश माना गया और कानपुर के टॉप टेन अपराधियों में भी शुमार नहीं किया गया।पार्टियां ऐसी बदली जैसे जूती,पुलिस विभाग को ऐसे साधा जैसे फूफा।
चौबेपुर हो,बिठूर हो,कल्याणपुर हो या शिवली।
कौन सा ऐसा पुलिस थाना था जहाँ इसकी लिखी गयी पर्चियां न पहुंची हो।
तब तो आपने घड़ियाल के बच्चे को पाला पोसा।जब एनकाउंटर के लिए जा रहे थे तब आपके विभाग के दलालों ने मुखबिरी की,आपने अपने डिपार्टमेंट के सिपाहियों को सही तरीके से ब्रीफ भी नहीं किया नतीज़न एक टुच्चे से बदमाश के गुर्गों के हाथों इतनी विकट नरसंहार हुआ।
कोई कोआर्डिनेशन नहीं,IG का SP से,SP का थानेदार से,थानेदार का सिपाही से।
डिपार्टमेंट में चिट्ठियां दबती रहीं।
अब भी ढंग से रेल पाओ,तो मान बचेगा।
उसकी पत्नी ने कोई अपराध किया तो उसको भी मत बक्शो लेकिन ये मासूम से बच्चे पर कौन सा जोर लगा रहे हो,इसपे खिसियाहट उतारने की बजाए तर्कसंगत कार्यवाही करो और इस मासूम को इस सबसे अलग रखो।
बाकी आम जनता के ऊपर घ्रणित से घ्रणित अपराध और अन्याय होने पर भी अपनी बौखलाहट ऐसे ही दिखाते तो आम जनता की नज़र में आपका सम्मान सर्वोपरि होता और ऐसे विकास विकसित ही न हो पाते।
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