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Saturday, 11 July 2020

नेता वैज्ञानिक नहीं बल्कि अपने नागरिकों के प्रति वैचारिक रूप से ईमानदार होना चाहिए, नीतियां बनाने के लिए तो पूरी मशीनरी है।

नेता इतना ही सर्वसुलभ होना चाहिए, ऐसा नहीं कि 6 साल में एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस न की हो लेकिन भाषण 500 से ज्यादा दे लिए हों, जनप्रतिनिधि का अर्थ होता है जनता का आदमी. लेकिन इधर हमने हेमा मालिनी और सन्नी देओल जनप्रतिनिधि बनाए हुए हैं वे अपने क्षेत्र में दो साल में एकबार दौरा करने भी आते हैं तो चश्मा नहीं उतरता। 

गांव के बारे में तो छोड़िए उन्हें अपने जिले की सभी तहसीलों तक के नाम याद नहीं हैं। राजनीति में नेता की शिक्षा उसकी वैचारिक ईमानदारी होती है। नेता वैज्ञानिक नहीं बल्कि अपने नागरिकों के प्रति वैचारिक रूप से ईमानदार होना चाहिए,नीतियां बनाने के लिए तो पूरी मशीनरी है। तस्वीर में देखिए, प्लास्टिक की कुर्सी है, आसपास गांव के लोग हैं, कोई समस्या होगी तो अचक से आकर कान में कह जाएगा कि साहब ये दिक्कत आ रही है, 

आसपास के लोगों की निकटता से सब आसानी से देखा और समझा जा सकता है. तेजस्वी सीमेंट के खम्बे पर ऐसे ही सहज होकर खाना खा रहे हैं जैसे कभी अटल बिहारी वाजपेयी गांव गांव जाकर अचार और छाछ से रोटी खाया करते थे। यही अंदाज लालू जी के बेटों में है. ये अंदाज अमित शाह के बेटों में नहीं मिल सकता, ये अंदाज हेमा मालिनी में भी नहीं मिल सकता, और उस आदमी में तो बिल्कुल नहीं जो एक रैली में भाषण देने से पहले 4 बार कपड़े बदलता है।

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