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Friday, 17 July 2020

नम्बर परसेंटेज के गेम में मत उलझिए, यकीन न आए तो हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी से पूछ लीजिए उनके कितने परसेंटेज बने थे !

काफी मित्र इन दिनों अपने बच्चों के बारहवीं में कितने मार्क्स आए वो यहां सोशल मीडिया में शेयर कर रहें है, मैं मेरे उन सभी भतीजे व भतीजियों को उनकी इस कामयाबी के लिए ढेर सारा प्यार व आशीर्वाद देता हूं।


अधिकतर साथी यही बता रहे है कि परसेंटेज 90 से ऊपर आई है तो कुछेक 75-80% वाले भी है ,,लेकिन काफी बच्चे ऐसे भी होंगे जिनके परसेंटेज बहुत कम आए होंगे, मैं उनके पेरेंट्स से आग्रह करता हूं कि इस समय वो उन बच्चों को डांटे नही जबकि उनके साथ नरमी से प्यार से पेश आए ,उन्हें ताना मारते हुए जलील न करें कि वो देख उसके नम्बर इतने आए वगैरह।

प्रतिभा किसी जाति धर्म या अमीरी की गुलाम नही होती है वो नैसर्गिक गॉड गिफ्ट होती है, वो सकता है आपके घरेलू नौकर या ऑफिस के चपरासी के बच्चे के मार्क्स आपके बच्चे से ज्यादा आए हो ,अतः इस सत्य को स्वीकार करें और इन बच्चों पर मानसिक दबाव न बनाएं।

आप सब को बहुत ईमानदारी के साथ यह एक्सेप्ट करना होगा कि अब सरकारी नौकरियां ऊंट के मुंह मे जीरे के बराबर रह गई है अतः यह मलाल न करे कि आपके बच्चे के परसेंटेज कम आए है तो उसका क्या होगा !!वजह कि जिस बच्चे के 98% भी आए होंगे गारंटी वारंटी उसकी भी नही है कि नौकरी लग जायेगी।

इन दिनों सर्वाइवल ऑफ द फिटेस्ट का जमाना चल रहा है ,जो चालू पुर्जा होगा वो अपने दिमाग से कैसे भी कहीं भी एडजस्ट हो कर कमा खा लेगा।

इंजीनियरिंग एमबीए एमसीए पोस्ट ग्रेजुएट कर के लाखों युवा बेरोजगार है या बहुत कम सैलरी पर जैसे तैसे गुजारा कर रहे है।

जितना आपने बच्चे की कान्वेंट स्कूल की फीस कॉलेज वगैरह में आप इन दिनों खर्चा कर रहे है उस लागत का ब्याज भी शायद ही कोई बच्चा कमा रहा होगा।
(अपवाद हर जगह होंगे मैं यहां बहुसंख्य उदाहरण की बात कर रहा हूँ)

इकॉनमी रोजगार मामले में सुधार की  उम्मीद वैसे भी 2024 तक शून्य है, और यदि मूर्ख अनपढ़ मोदास आगे भी हिंदुत्व की रक्षा और ऑप्शन क्या है वगैरह प्रलाप करते रहे तो हम सब का भविष्य 2029 तक भी अंधकारमय रहेगा।

इसलिए कोई फर्क नही पड़ता कि किसी के 50% आए या किस के 90% आए ,मार्केट में न ग्रोथ है न उठाव न दूर दूर तक रोजगार धंधे की गुंजाइश दिख रही है।

हो सके तो अपने बच्चों को जिनकी उम्र आज 15-16 साल है उन्हें पॉलिटिक्स की बेसिक जानकारी दीजिए, उन्हें आइटिसेल व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी और गोदी मीडिया के प्रलाप से इतना बचा कर रखिए जितना कि आप कोरोना से बचाव रखते है।

ये बच्चे देश की अमानत है इनमें दीमक नही लगनी चाहिए।
लाखों पेरेंट्स इन दिनों आर्थिक तंगी का सामना कर रहे होंगे क्योंकि रोजगार धंधे कमोबेश सभी के चौपट हुए है अतः अपने बच्चों को भी अपनी सही स्थिति से अवगत कराएं, फिजूलखर्ची से बचे ,महंगे कॉलेज कोचिंग संस्थान और ऋण वगैरह से बनती कोशिश दूर रहें।

मैं मेरी बात कहूँ तो मुझे बारहवीं में सिर्फ 54% मार्क्स मिले थे लेकिन कभी उसका अफसोस नही किया, मेरा ही एक सहपाठी मित्र अक्सर 80% से ज्यादा मार्क्स लाता था, उसने पत्रकारिता में डिग्री पोस्ट ग्रेजुएट और पीएचडी सब मे वो गोल्ड मेडलिस्ट है लेकिन आज तक बेरोजगार है, वो आज भी मुझे अजूबे की तरह देखता है कि इस मामूली से लड़के जिसके 50-60% मुश्किल से बनते थे वो पत्रकारिता में इतना फ़ास्ट फारवर्ड है इसकी एक पहचान है जबकि वो अभी तक एक अदद नौकरी ढूंढ रहा है।

इसलिए कहता हूँ नम्बर परसेंटेज के गेम में मत उलझिए,, यकीन न आए तो हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री जी से पूछ लीजिए उनके कितने परसेंटेज बने थे !!! और थिंक पोजिटिव एक दसवीं फेल भी इतने उच्च स्तर तक जा सकता है तो आपके बच्चे और हम सब तो यकीनन सौ गुना बेहतर है।

नवनीत चतुर्वेदी जी की वाल से साभार।

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