राज्यसभा में शुक्रवार को भाकपा ने आर्थिक संकट को ‘‘भगवान का कृत्य (एक्ट
ऑफ गॉड)’’ बताने के लिए सरकार पर निशाना साधा और कहा कि मौजूदा स्थिति के
लिए ईश्वर नहीं बल्कि पूरी तरह से केंद्र की नीतियां जिम्मेदार हैं।
भाकपा सदस्य विनय विश्वम ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर
चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि 20 लाख करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज
केवल एक "दिखावा" था क्योंकि केवल दो लाख करोड़ रुपये ही लोगों तक पहुंचे।
भाकपा
सदस्य ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया
और मनरेगा की तर्ज पर एक राष्ट्रीय रोजगार योजना बनाने की मांग की।
उन्होंने कहा कि देश के युवाओं में बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए
मनरेगा की तरह ही रोजगार योजना होनी चाहिए।
विश्वम ने कहा कि वित्त मंत्री ने कोविड-19 और अर्थव्यवस्था में
संकट को ईश्वर का कृत्य बताया। उन्होंने सवाल किया, ‘‘यह ईश्वर का कृत्य
कैसे हो सकता है?"
उन्होंने कहा कि यह सच है कि लॉकडाउन के दिनों में देश को
मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन अर्थव्यवस्था कोरोना वायरस महामारी
आने के पहले ही गिर रही थी।
भाकपा सदस्य ने कहा, ‘‘वह दोष ईश्वर पर
डालने की कोशिश नहीं करें। मैं ईश्वर में विश्वास नहीं करता हूं, लेकिन
मैं सभी धर्मों के सच्चे अनुयायियों में विश्वास करता हूं। मुझे यकीन है कि
ईश्वर इतना क्रूर नहीं है। ईश्वर इतना क्रूर नहीं हो सकता। इसलिए ईश्वर पर
दोष नहीं मढ़ें। दोषी ईश्वर नहीं सरकार की नीतियां हैं।’’
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Friday, 5 February 2021

आर्थिक संकट के लिए ईश्वर को कोसना उचित नहीं, सरकार की नीतियां जिम्मेदार : भाकपा
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