उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि किसी व्यक्ति की गवाही को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता कि वह मामले में ‘‘हितधारक गवाह’’ है, बल्कि उसके बयान पर अधिक सावधानी और सतर्कता से विचार किया जाना चाहिए।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने एक व्यक्ति को बरी करते हुए यह टिप्पणी की। हत्या के 2015 के इस मामले में दोषसिद्धि और सजा को मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ ने बरकरार रखा था।
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