मोदी जी के "लोकल का वोकल" राईम इतनी जल्दी सच होगी , यह सोचा ना था।
चीन के सामानों के बहिष्कार का कार्यक्रम चल रहा है।
आईए आपको समझाते हैं कि आपको क्या क्या बहिष्कार करना है।
भारत की जरूरत की 90 प्रतिशत जीवन रक्षक दवाएं चीन से आती हैं , तुरंत इसका बहिष्कार करिए। यही नहीं , दवाएं बनाने में इस्तेमाल होने वाले सामग्री का 75 प्रतिशत हिस्सा चीन से आता है।
चीन के वुहान स्थित "इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी" से भारत में लगभग 90% वैक्सीन आती है। भारत में 80 प्रतिशत मेडिकल उपकरणों की सप्लाई चीन करता है। ऑटोमोबाइल कंपोनेंट्स यानी वाहनों के कलपुर्जों की तीस प्रतिशत जरूरत चीन से पूरी होती है।
इलेक्ट्रिक माल की जरूरतों का 60 प्रतिशत आयात चीन से होता है। देश के करीब 90 प्रतिशत खिलौना बाजार (Toy Market) पर चीनी प्रोडक्ट्स का कब्जा है। देश के साइकिल बाजार में 50 प्रतिशत डिमांड आयात से पूरी होती है जिसमें चीन की बड़ी हिस्सेदारी है।
भारत में विदेशो से आयात का कुल 38% हिस्सा चीन का है।
बहिष्कार के बाद इसकी आपुर्ति बंद हो जाएगी तो आपके पास विकल्प क्या हैं ? जीवन रक्षक दवाईयों का तो पूरे विश्व का एकमात्र सप्लायर चीन ही है , क्युँकि इसमें मिलाए जाने वाले पशु पक्षियों के अवशेष केवल चीन में ही मिलते हैं।
पहले विकल्प ढूँढिए फिर बहिष्कार करिए वरना परिणाम भयावह होंगे।
तब तक चाऊमीन का बहिष्कार कर सकते हैं।
लेखक : मो जाहिद
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