चीन का इतिहास हमेशा से भारत को धोखा देने का रहा है।
हिन्दी-चीनी भाई भाई का नारा और उसके बाद चीन का उसी हिन्दी भाई को दिया धोखा कौन भूल सकता है। इसके बावजूद भारत के प्रधानमंत्री पिछले 6 साल में 18 बार चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग से मुलाकात किए। नौकर बनकर झूला झुलाए।
यदि औसत निकाला जाय तो यह प्रति चार महीने में 1 मुलाकात हुई।
जिनपिंग ने फिर धोखा दिया। दरअसल भारत के प्रधानमंत्री गुजराती हैं। गुजरातियों की एक समझ यह होती है कि किसी को खूब सम्मान देकर उसका सेवा सत्कार करके उसे काट लो।
पर मोदी जी को अब समझ में आ रहा होगा कि विदेशनीति ईवेन्ट मैनेज कराकर नहीं तय होती। देश के आपसी ताने बाने को बिखेरकर विदेशों में खराब होती छवि से देश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
अपने अंदर नागरिकों के बीच मारकाट वाला देश ना आर्थिक रूप से ना वैश्विक रूप से मजबूत होता है। जितने भी आर्थिक शक्तियाँ हैं उनके घरेलू स्थीतियों को देख लीजिए , उनके नागरिक आपस मे कभी नहीं लड़ते।
ना दंगा होता है ना भारी तबाही होती है।
भारत में तो यही करके सत्ता मिलती है।
लेखक : मो जाहिद जी की वाल से प्रकाशित लेख।
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