WHO एक विशेष एजेण्डा के तहत काम करता है वो एजेंडा है बिग फार्मा के हितो को बढ़ावा देना और उसके प्रतिनिधि है बिल गेट्स यह बात मै काफी दिनों से लगातार लिख रहा हूँ जिसकी पूरी सीरीज आप मेरी फेसबुक वाल पर जा कर पढ़ सकते है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस एडहैनम घेब्रियेसुस ने कहा कि कई जगहों पर महामारी की वजह से स्वास्थ्य सिस्टम पर दबाव बढ़ गया है. इसकी वजह से प्रेग्नेंसी और डिलीवरी से जुड़ी दिक्कतों से महिलाओं की मौत का खतरा बढ़ सकता है.यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड UNFPA की एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर नतालिया कनेम ने इस हालात को लेकर कहा है कि 'महामारी के भीतर एक महामारी' पैदा हो गई है.नतालिया कनेम ने कहा कि एक अनुमान के मुताबिक, हर 6 महीने के लॉकडाउन की वजह से 4.7 करोड़ महिलाएं कंट्रासेप्शन यानि दवाओं द्वारा गर्भनिरोध की सुविधा खो देंगी. इसकी वजह से 6 महीने के लॉकडाउन में बिना इच्छा के 70 लाख बच्चों का जन्म होगा.
दरअसल बिल गेट्स फाउंडेशन शुरू से ही 'डेपो प्रोवेरा' इंजेक्शन को प्रमोट करता आया है क्योकि इस संबध में वह इस इंजेक्शन के निर्माता फाइजर का साझीदार है डेपो प्रोवेरा यानी ‘डिपो मेडरॉक्सी प्रोजेस्टेरोन एक्सीटेट’ (डीएमपीए) एक गर्भनिरोधक इंजेक्शन है जिसे ऊपरी बांह या नितंब में लगवाया जा सकता है। इसे महिलाओ को लगभग तीन महीने में एक बार लगवाना होता है...... भारत में खुले बाजार में इसे 'सायाना-प्रेस’ के नाम से भी बेचा जा रहा है बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, इसे मल्टीनेशनल फार्मा कम्पनी ‘फाइज़र’ और चिल्ड्रेन्स इन्वेस्टमेंट फंड फाउंडेशन के साथ मिल कर तीसरी दुनिया के विकासशील ओर गरीब देशों में डीएमपीए को ही ‘सायाना-प्रेस’ नाम से बेच रहा है. भारत में मोदी सरकार ने इसे परिवार नियोजन के उपाय के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है इसे ‘अंतरा’ के नाम से देश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों युवा महिलाओं को लगाया जा रहा है
2011 में लंदन में परिवार नियोजन पर आयोजित एक सम्मलेन में मेलिंडा गेट्स ने कहा कि उनका संस्थान जो भी रकम घोषित करेगा वह कम से कम उतनी तो होगी ही जितनी वह मलेरिया, एड्स और टीबी जैसी बीमारियों से लड़ने के लिए खर्चा करता है. मेलिंडा गेट्स ने कहा कि उनका फाउंडेशन यह चाहते है कि विकास शील देशों में महिलाएं गर्भनिरोधकों तक पहुँच चाहती हैं, साथ ही वो इस तरह के गर्भनिरोधक चाहती हैं जो इंजेक्शन के ज़रिये लिए जा सकें. मेलिंडा गेट्स ने कहा " हम यह चाहते हैं कि साल 2020 तक 12 करोड़ महिलाओं को हम गर्भनिरोधक उपलब्ध करा पाएं.
कुछ शोध जो डीएमपीए इंजेक्शन के बारे में किये गए हैं वे बताते है कि इसके जरिए कमजोर वर्ग की महिलाओं को भीषण रोग की सुरंग में धकेल रहा है. इस दवा के इस्तेमाल के कुछ ही दिनों बाद महिलाएं फिर मां बनने लायक नहीं रह जातीं. अगर बनती भी हैं तो बच्चे इतने कमजोर होते हैं कि शीघ्र मौत का शिकार हो जाते हैं, जो बच जाते हैं वे विकलांग और पंगु होकर रह जाते हैं. विश्व के कई देशों में खतरनाक यौन अपराधियों की यौन ग्रंथि को रासायनिक विधि से नष्ट करने (केमिकल कैस्ट्रेशन) के लिए डेपो-प्रोवेरा (डीएमपीए) इंजेक्शन का इस्तेमाल किया जाता रहा है.
लेखक: गिरीश मालवीय जी, जो कि राष्ट्रीय पत्रकारिता जगत में बड़ा नाम है।
इस लेख में लिखे सभी मत गिरीश जी के व्यक्तिगत है।
No comments:
Post a Comment