हम गाय को माता कहते हैं। क्योंकि वह दूध देती है। लेकिन दूध तो भैंस भी देती है। भैंस का दूध पीकर ही अधिकतर भारतीय बढ़े हुए हैं, फिर भैंस माता क्यों नहीं है? भैंस और गाय दोनों ही किसान को बराबर Serve करती हैं। भैंस के बच्चों का उपयोग भी किसानी के काम में गाय से अधिक होता है। भैंस का दूध भी गाय के दूध से अधिक ताक़वर माना जाता है। फिर भैंस को माता क्यों नहीं कहा जाता? ताकतवर से याद आया दूध तो बकरी, और ऊंटनी का भी गाय से अधिक ताकतवर माना जाता है। फिर माँ केवल गाय को ही क्यों माना जाता है?
चलिए गाय को माँ मान ही लीजिए। लेकिन सवाल ये है कि गाय अगर माँ है, तो भैंस कम से कम मौसी तो होगी ही? बकरी भी मामा या भुआ की लड़की होगी।
और एक सबसे बड़ी बात अगर गाय माता है, तो उसे लाठियों से पीटते क्यों हैं? फिर खेतों में बाड़बंदी क्यों लगाते हैं? क्योंकि खेतों में चारा खाने के लिए भैंस तो जाती नहीं, बकरी भी नहीं जाती, ऊंटनी भी नहीं जाती, गाय ही जाती है बेचारी। फिर ऐसे कैसे चलेगा कि गाय को माता भी मानना है, और उसे अपने खेत से चारे का दाना भी नहीं चरने देना है। ऐसे तो गाय माता भूखों मर जाएगी भाइयो।
आप मुसलमानों को गाय पालने नहीं देते, उनको तो आप सीधे लिंच कर देते हो। खुद कभी पालते नहीं। जो हिन्दू पालते भी हैं तो दूध पीकर छोड़ देते हैं। गाय बेचारी आवारा सड़कों पर मारी-मारी फिरती है, पॉलीथिन खाती है, भूखे, प्यासे आपके खेतों में चली जाती है तो आप लाठियों-डंडों से पिटाई करते हैं। ऐसे तो गाय भूखी मर जाएगी. और मरती भी हैं। एक तो गाय भूखी, ऊपर से आपकी लाठियां।
अब बताइए गाय को लेकर डबल स्टैंडर्ड्स कौन हुआ? आप या मुसलमान?
मुसलमान गाय को माता तो नहीं कहता। वह उसे देवी भी नहीं मानता, लेकिन आप तो देवी मानते हैं न, आप तो माता भी कहते हैं। और फिर जब पूरे दिन की भूखी गाय माता खाने के लिए आपके खेतों की तरफ जाती है तो आप उसकी पीठ पर लाठियां तोड़ देते हैं। ऐसे कैसे चलेगा भाइयो?
श्याम मीना सिंह
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