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Sunday, 30 August 2020

जनतन्त्र या गनतन्त्र या ठोकतन्त्र आखिर चल क्या रहा है??-गणेश प्रसाद मिश्रा


अंधभक्त कहेंगे कानून का राज चल रहा है..... 
पर जरा आसपास नजर दौडाइयेगा चल क्या रहा है? कही भी लोकतंत्र या जनतंत्र दिख जाए तो पैर पकड़ लीजियेगा रोकियेगा क्यों कि इस सरकार में खत्म किया जा रहा है उसे बचाने की जिम्मेदारी हमारी आपकी है....
आज जौनपुर का एक वीडियो देखा जिसमे पुलिस किसप्रकार से लाठी चार्ज कर रही एक बस्ती के लोगो पर सामान्य व्यक्ति देख भी नही सकता वह क्रंदन....?
एक घटना अभी कौंधियारा थाना क्षेत्र की है जहाँ के एसओ की मनमानी औऱ जातीय विद्वेष की शिकायत एसएसपी से की गई...
पर शिकायत कर्ता ब्राह्मण उसकी क्यों सुनी जाए भाई? उसे तो इस सरकार में निशाना ही बनना है, अगर उसे सम्मान बचाना हो तो चुपचाप घर बैठे या बाहर निकल कर प्रशासन की लाठी और गाली गोली खाये..…..
कोरांव पुलिस की दो घटनाये बकायदे सुर्खिया बनी बड़ोखर की और अभी एक कल की ही, 
खीरी थाने की लेडियारी चौकी की स्थिति किसी से छिपी नही है, वहां पुलिसकर्मी कम दलाल ज्यादा बैठने लगे है.......
ये जो बाते है मेरी नही है बल्कि हर आम व्यक्ति इससे पीड़ित और वाकिफ है, 

कहते है कि किसी को कोई चीज फ्री की मिल जाये तो उसे उसकी कद्र नही रहती है यही हाल हमारे मुख्यमंत्री जी का है, जिसप्रकार से वह गनतंत्र और ठोकतन्त्र चला रहे है, पुलिस प्रशासन जिस प्रकार से बेकाबू और निरंकुश है हम तो खैर नए है पुरनिये भी बताते है कि ऐसा तो नही था.....
योगी जी हेलीकॉप्टर से उतार कर मुख्यमंत्री बना दिये गए क्या जानेंगे कार्यकर्ता कितनी लाठियां विपक्ष में खाया था? और सत्ता में आने के बाद भी उसकी क्या स्थिति है?? 
यह दोष उन्हें सिर्फ इसलिए दे रहा हूं क्यों कि गृह विभाग स्वयं उनके पास है.....
चौकी न होकर सरकारी गुंडा टैक्स वसूली केंद्र हो चुके है यही हाल कमोवेश हर चौराहे का हो जाता है शाम तक..…..
दोष सिर्फ योगी जी को ही नही दिया जा सकता दोष सत्ता धारी पार्टी का भी और उनके अंधभक्त कार्यकर्ताओ का भी है, क्यों जब भी कार्यकर्ता कार्यकर्ता से चरणचाटुकर व पदलोलुपता में परिवर्तित हो जाता है तो सत्ता का निरंकुश हो जाना स्वाभाविक व वाजिब भी है, 
राष्ट्रवाद व हिंदुत्ववाद के लॉलीपॉप के बदले न्यूनतम विद्युत आपूर्ति पर देश की सबसे महंगी बिजली का बिल देने वाले हम आप ही है, 
खैर किसी को उसकी औकात से ज्यादा मिल जाता है तो उसे पचता नही बीजेपी के साथ यही है अपच हो गया है... 
विपक्ष मृतप्राय है जाति धर्म के मुद्दे के अतिरिक्त वह कुम्भकर्णी निंद्रा में है, अंधभक्त पदलोलुपता और चरणचाटूकारिता में व्यसत है, जनता है पिसती है पिसती रहेगी.......
क्यों कि सत्ता को अहंकारी निरंकुश बनाने में तीनों का योगदान है.........
यही बीजेपी विपक्ष में थी बिजली बिल के लिये आंदोलन होते थे सत्ता मिलते ही आपूर्ति और कम हो गई बिल बढ़ गए? 
गुंडाराज कहा जा रहा था? 
अब तो खुलेआम सरकारी गुंडाराज चल रहा है? 
प्रशासन पूरी तरह निरंकुश हो चुका है हा सत्ता का भय दिखाकर भ्रष्टाचार का रेट भर बढ़ गया है।
कार्यकर्ता नेपथ्य में चले गए दलाल सरकार चला रहे है ..........
परिणाम आम आदमी भुगत रहा है ।
रिपोर्ट-अंजनी त्रिपाठी

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