एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता और भारतीय मुक्केबाजी को नयी दिशा देने
वाले डिंको सिंह का यकृत के कैंसर से लंबे समय तक जूझने के बाद गुरुवार को
निधन हो गया।
वह 42 साल के थे और 2017 से इस बीमारी से जूझ रहे थे। उनके परिवार में पत्नी बाबइ नगानगोम तथा एक पुत्र और पुत्री है।
यह बैंथमवेट (54 किग्रा भार वर्ग) मुक्केबाज कैंसर से पीड़ित होने के
अलावा पिछले साल कोविड—19 से भी संक्रमित हो गया था और वह पीलिया से भी
पीड़ित रहे थे।
ओलंपिक की तैयारियों में लगे मुक्केबाज विकास
कृष्णन ने कहा, 'हमने एक दिग्गज खो दिया।'
खेल मंत्री कीरेन रीजीजू ने ट्वीट किया, 'मैं श्री डिंको सिंह के निधन
से बहुत दुखी हूं। वह भारत के सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाजों में से एक थे।
डिंको के 1998 बैकाक एशियाई खेलों में जीते गये स्वर्ण पदक ने भारत में
मुक्केबाजी क्रांति को जन्म दिया। मैं शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी
संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।'
मणिपुर के इस सुपरस्टार ने 10 वर्ष की उम्र में अपना पहला राष्ट्रीय
खिताब (सब जूनियर) जीता था। वह भारतीय मुक्केबाजी के पहले स्टार मुक्केबाज
थे जिनके एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक से छह बार की विश्व चैंपियन एम सी
मैरीकॉम सहित कई इस खेल से जुड़ने के लिये प्रेरित हुए थे।
मैरीकॉम ने पीटीआई से कहा, 'वह रॉकस्टार थे, एक दिग्गज थे, एक योद्धा थे।
मुझे याद है कि मैं मणिपुर में उनका मुकाबला देखने के लिये कतार में खड़ी
रहती थी। उन्होंने मुझे प्रेरित किया। वह मेरे नायक थे। यह बहुत बड़ी क्षति
है। वह बहुत जल्दी चले गये। '
डिंको को एक निडर मुक्केबाज माना जाता था। उन्होंने बैकाक एशियाई खेलों
में स्वर्ण पदक की अपनी राह में दो ओलंपिक पदक विजेताओं थाईलैंड के
सोनताया वांगप्राटेस और उज्बेकिस्तान के तैमूर तुलयाकोव को हराया था जो उस
समय किसी भारतीय मुक्केबाज के लिये बड़ी उपलब्धि थी।
दिलचस्प बात
यह है कि उन्हें खेलों के लिये शुरुआती टीम में नहीं चुना गया था और विरोध
दर्ज करने के बाद उन्हें टीम में लिया गया था।
भारत के पहले
ओलंपिक पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने ट्वीट किया, ' इस क्षति पर
मेरी हार्दिक संवेदना। उनका जीवन और संघर्ष हमेशा भावी पीढ़ियों के लिये
प्रेरणास्रोत रहेगा। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि शोक संतप्त परिवार
को दुख और शोक की इस घड़ी से उबरने के लिये शक्ति प्रदान करे। '
डिंको ने 1998 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था और उन्हें उसी
साल अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। खेलों में उनके योगदान के
लिये उन्हें 2013 में पदम श्री से सम्मानित किया गया था।
भारतीय
नौसेना में काम करने वाले डिंको मुक्केबाजी से संन्यास लेने के बाद कोच बन
गये थे। वह भारतीय खेल प्राधिकरण के इम्फाल केंद्र में कोचिंग दिया करते थे
लेकिन बीमारी के कारण बाद में अपने घर तक ही सीमित हो गये थे।
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Friday, 11 June 2021

एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता पूर्व मुक्केबाज डिंको सिंह का निधन
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