हल्की, छुपी आवाज में ही सही लेकिन सरकार समर्थकों की समझ में आ रहा है कि उनका नेता उन्हें मूर्ख बना रहा है। ये बहुत नाजुक वक्त है। सरकार से मोह भंग होने वाले इन नागरिकों का हास नहीं बनाना चाहिए। ये संक्रमण का दौर है, लोग मानसिक तौर पर बदलाव से गुजर रहे हैं जिस तरह 2012-13 में गुजर रहे थे। उस समय उन्होंने एक नेता में उम्मीद देखीं, लेकिन अब उस नेता को लेकर पुनर्विचार का दौर चल रहा है।
ऐसे परिवर्तनशील नागरिकों को सहेजने का समय है। आप इन्हें समझा नहीं सकते तो कम से कम मखौल मत उड़ाइए। उन्हें भक्त बने रहने का एक और कारण मत दीजिए। यदि वे आज की स्थिति परिस्थितियों को देखकर अपना मन बदल रहे हैं तो इसका अर्थ है कि वे मन के ईमानदार लोग हैं।
जब उन्हें लगा कि उनका नेता देश के लिए जरूरी है तो उन्हीने अपने नेता का साथ दिया, आज जब लग रहा है कि उनके नेता ने उन्हें भ्रामक भाषणों के अलावा कुछ नहीं दिया तो वे अंदर ही अंदर अपना मन बदल रहे हैं। ये भोले-भाले, अनभिज्ञ, ईमानदार नागरिक हैं। इनसे दोबारा बात करिए, इनसे संवाद कीजिए। क्या पता वे खुलकर बोलने लगें, आज एक बोलेगा, कल चार बोलेंगे। क्या पता इस सरकार का सच लोगों के सामने आ ही जाए। इनका मखौल उड़ाकर आप उन्हें उनके ही खेमें में रहने के लिए मजबूर कर रहें हैं। पुराने विचारों में परिवर्तन, गलतियों के लिए माफी, नवीनतम विचारों का को स्वीकृत करना, प्रत्येक जीव का प्राकृतिक अधिकार है। आप पूर्ण हो सकते हैं, आप अपवाद हो सकते हैं लेकिन बाकी मनुष्य पूर्ण नहीं हैं, उनमें त्रुटियां हैं, उनमें भी गलतियां हैं, सब आपकी तरह महान पैदा नहीं हुए। उन्होंने गलतियां की हैं, सीखें हैं। जीवन उन त्रुटियों को सही करते रहने का ही नाम है।
आप धीमी अवाज में सही अपने इन दोस्तों से बात करिए, उन्हें इनकरेज करिए। उनकी हौंसला अफजाई करिए। जीवन में एक हिन्दू को मुसलमान बनाने से, एक मुसलमान को हिन्दू बनाने से ज्यादा महान काम है एक भ्रमित नागरिक को दोबारा से जिम्मेदार नागरिक बनाना।
लेखक: श्याम मीरा सिंह
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